" हम जो है उसके जिम्मेवार हम स्वयं ही है, और हमारे अन्दर वह शक्ति है कि हम स्वयं को जिस रूप में गढ़ना चाहें वही बन जाये। आज जो हम है अगर वह हमारे पूर्व कर्मो का परिणाम है तो निश्चित रूप से हमारे वर्तमान कर्म हमारे भावी निर्माण की नीव है।"